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‘रिश्ते भी रिश्बत से चलते हैं ‘

आगोश
आगोश
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कभी ऐसे पुत्र भी पैदा हुए ,जिनके इतिहास को जन्म जन्मान्तर तक स्मरण किया जायेगा जिनमे श्रवण कुमारऔर राम-लक्ष्मण का नाम सबसे पहले लिया जाता है जिनका जिक्र मात्र से माता पिता की सेबा करने की अनुभूति होती है।समय का फेर है बदलता रहता है आज की पीढ़ी इन सबको नकारती जा रही है।माँ बाप से लगाब कम हो रहा है मगर दूसरे माँ बापों को ज्यादा महत्ब दिया जाता है ।किस्सा कुछ ऐसा है की मेरे ताऊ का लड़का जिसने कभी अपनी माँ को बिना गाली और मम्मीटा जैसे शब्दों के अलाबा कभी दूसरा नाम नहीं दिया।हम तुने पांच भाई निकल के रख दिये और चाची ने एक बेटा ही पैदा किया। उसके पास जमीन जायदात जायदा होगी मौज उड़ायेगा और हम पांच क्या करेंगे। तू केबल मुझे ही पैदा करती। उसने कक्षा 10 तक पढ़कर मोटर मकैनिक की ट्रेनिग कर ली थी ।कुछ समय बाद  पुलिस मे उसकी नौकरी लग जाती है ।और अच्छी शादी होती है ।शादी के बाद सास मम्मी जी बन जाती है और अपनी माँ बही रहती है ।उसके भाबों को देखकर हम सभी के मन को बड़ा अघात लगा कि ‘ सब दुनिया मतलब का संसार है ।और रिश्ते भी रिश्बत से चलते हैं ।

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