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‘आरक्षण’

आगोश
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आज़ादी खतरे मे है, अब आरक्षण को बंद करो ।
लहू खौल रहा मेरा ,तिरंगे को नमन करो ।।


संविधान को झुठला कर ,अब संशोधन को बंद करो ।
लगी आग देश के भीतर ,मत घी डालने का काम करो ।।
नोंजवानों अब तुम संभलो,हित के कारण कुछ तो करो ।
सिर से पानी गुजर चुका है ,अब तुम देर मत करो ।।(1)

आज़ादी खतरे मे है ,अब आरक्षण को बंद करो ।
लहू खौल रहा मेरा ,तिरंगे को नमन करो।।


योग्य बनो और योग्य चुनो ,केबल योग्यता की कदर करो ।
आरक्षण का लेकर सहारा ,अयोग्यों को चुनना बंद करो ।
जात-पात का भेद छोड़कर ,अब उन्नत्ति के शिखर चढो ।
अब लों नसानी अब ना नसै हो ,वर्तमान की समझ करो ।(2)

आज़ादी खतरे मे है ,अब आरक्षण को बंद करो ।
लहू खौल रहा मेरा ,तिरंगे को नमन करो।।


उम्र रिटायरमेंट 60 वर्ष ,इसको आगे बढाना बंद करो ।
बेरोजगारों की फ़ौज खड़ी है ,इन का भी कुछ ख्याल करो ।
शिक्षा नीति मे सुधार करो और शिक्षा मे कुछ नया करो ।
सर्वशिक्षा अभियान मे सुधार करो ,भारतीय संस्कृति का विकास करो ।(3)

आज़ादी खतरे मे है ,अब आरक्षण को बंद करो ।
लहू खौल रहा मेरा ,तिरंगे को नमन करो।।


गरीब -अमीर दो पहलु है ,मत इनसे छेड-छ।ड करो
हर साल गरीवी बढती है ,गरीवी हटाने के झुठे नारे बंद करो ।।
भ्रष्ट।चार बढ़ रहा देश मे,काले धन का अब संज्ञान करो ।
लूट -बईमानी की भी सीमा है,घोटालो को बंद करो ।(4)

आज़ादी खतरे मे है ,अब आरक्षण को बंद करो ।
लहू खौल रहा मेरा ,तिरंगे को नमन करो।।


लेखक डॉo हिमांशु शर्मा   (आगोश)

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