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चार यारों की चंडाल चौकड़ी

आगोश
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चार यारों की चंडाल चौकड़ी

चार बेकार मगर दबंग लोगों ने एक चौकड़ी बना ली और मंथन पार्टी रोज शोर सराबे के साथ होने लगी और तय हुआ कौन सा काम किया जाय।जिससे रुपया और इज्जत दोनों हों और दबंगई का पूरा दव दवा कायम रहे । एक यार ने कहा कि हमारे गुरु जी ने मेरी सेवा से प्रसन्न होकर बताया था की तुम जैसे गुण्डों ,मवाली प्रबर्ति को भारत(इंडिया )मे एक ही जगह सफलता के सौ फीसदी अवसर है ,वो है राजनीति —इतना सुनकर बाकी तीनों ने कहा हाँ भाई हाँ ठीक रहेगा ।

लग गये समाज सेवा राजनीति मे जहाँ जाते दवंगई व धन का संगम लोगों को आकर्षित करने लगा।विकास करने का उदघोष होने लगा ।चारों ओर दवंगई का जोश बढने लगा आखिर चुनावो मे चंडाल चौकड़ी पार्टी को बहुमत प्राप्त हुआ। अब क्या था जो पुलिस प्रशाशन इन चारों यारों को पकडने के लिये दिन रात पीछे पड़ा था ।मगर अब लाल बत्ती गाड़ी को पायलट पुलिस करती ,जब गाड़ी रूकती तब खिड़की खुलती जहाँ आंख उठती बही ऐड़ी जोड़े सैल्यूट लगाती रात दिन दरवान की तरह पहरेदारी करती ।

एक दिन चारों यारों ने अपनी जीत की ख़ुशी मे खिचड़ी पार्टी रखी जिसका नाम था विकास पार्टी । खिचड़ी परोसी गयी और स्वाद बढ़ाने के लिये उसमे बहुत सारा घी डाला गया । विकास के बहाने चारों यारों की देशी घी को अधिक लेने की दवी आकांक्षा मन ही मन जोर मारने लगी। एक कुराफाती यार ने खिचड़ी मे चम्मच डाली और कहा विकास के लिये ऐसे रास्ते बनाये जाय जो साफ सुथरे चौडे हों और घी अपनी तरफ कर लिया । चम्मच के द्वारा बनाये खिचड़ी का घी
सारा कुराफाती यार की तरफ बहने लगा ।

अब दूसरे यार ने घी अपनी तरफ करने की योजना विकास योजना चम्मच द्वारा बताई और घी को अपनी तरफ करने को रास्ता बहार -बहार बनाने के सुझाब के साथ घी अपनी तरफ कर लिया। तब तीसरे महानुभाव यार ने खिचड़ी के घी को दोनों यारों की ओर जाते देख उसने कहा रास्ते तो ठीक- ठाक बन गये है।
चम्मच लेकर घी अपनी ओर करके फ्लाईओवर का सुझाब दिया और घी अपनी ओर कर लिया ।चौथे यार ने सैयम बर्ता और लुटते घी को देखकर सुझाब दे डाला की लिंक रोड बनाई जाय और घी का बहाब तीनो की तरफ से अपनी ओर कर लिया ।गर्म खिचड़ी से तीनो के विकास के रास्तों से घी चौथे की ओर बहने लगा ।चौथे की ओर घी जाता देख तीनों यार क्रोधित हो गये ,और अपनी अपनी चम्मच खिचड़ी मे घुमाने लगे और आपस मे भारतीय संसद मे नेताओं की तरह तू ,तू, मै ,मै करने लगे । और अंत मे चारों यारों की चंडाल चौकड़ी ने कहा कि भई विकास के रास्ते के नाम पर सप्पम- सप्पा । अंत मे चम्मच रुकी और देखा गया कि भई घी कहाँ गया | इतने मे गुरु जी आ गये और बोले घी खिचड़ी मे गया | अब तुमको बराबर -बराबर मात्रा मे मिलेगा आपस मे मत लड़ो भारतीय नेताओ कि तरह | खिचड़ी खाओ और पचा जाओ भारतीय नेताओं कि भ्रस्टाचार से लूटी गयी दौलत कि तरह ।

डॉo हिमांशु शर्मा (आगोश )

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