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वामन (५२ ब्राह्मणों ) पण्डित भाईयों अपनी वामन राय छोड़ों वामन रायों(मत) को एक कर लो । वर्तमान में आरक्षण की आंधी चल रही है तुम भी अपना पर्चा लेकर लाइन में लग जाओ, वर्तमान में सबसे ज्यादा जरुरत आरक्षण की ब्राह्मणों को ही है क्योंकि ये बेचारे एक मत से नही बल्कि वामन मतों से चलने वाले हैं । इनको तो इस बात की बहुत ख़ुशी कि तुम उच्च जाति के हो, मगर ऊँची दुकान और फीके पकवान । ना तो इनकी आवाज को उठाने वाला इनका कोई ठोस नेता है अगर कोई नेता हो भी तो ये उसको धकेलने में पलभर नही लगाते ,क्यों ! इनको थाली में ही खीर अच्छी लगती है और भूल जाते हैं कि अब तो इनकी पंडिताई की कदर पितृपक्ष में भी नहीं होती । फिर भी घमण्ड ये मत भूलो की- “वामन को तो वामन मारे या मारे करतार ” फिर क्योँ किसी का डर भय ,तुम भी भी आरक्षण की माँग का विगुल बजा दो क्योँ भूल रहे हो इस आरक्षण की कारण जो लोग जीरो प्राप्त करके भी हीरो बनकर तुम्हारे सौ प्रतिशत अंक प्राप्त बच्चों को जूता दिखाते नही थकते और इन होनहार परिश्रमी बच्चों को आरक्षण का जूता हर पल चुबता है । हर पल मर -मर के जीते है होनहार । ऐसा नही कि सामान्य श्रेणी में गरीब नही अरे ब्राह्मण तो आज विप्र ब्राह्मण है । अपने बच्चों को पेट काटकर पढ़ाने में जी जान लगा देता है और बच्चा पढ़कर शत प्रतिशत अंक प्राप्त करके ,आरक्षण के सामने दम तोड़ देता है । इस देश के राजनीतिज्ञों से पूँछा जाय कि इस आरक्षण की भेट हमारे होनहार क्योँ चढ़ें वो अयोग्य क्यों नही जो ३३% पर ही सुयोग्य बन जाते हैं। दुर्भाग्य हमारे बच्चों का अब हमसे नही सहा जाएगा अब गधे घोड़ों को एक साथ खड़ा करना हम ब्राह्मणों को भी गँवारा नही होगा । मैं तो अपने ब्राह्मणों भाईयों से अपील करूँगा कि सभी सामान्य श्रेणीयों को साथ लेकर अपने लिये आरक्षण की माँग करे और इस हद तक जाँय कि या तो हमको भी आरक्षण मिले या इस आरक्षण रूपी कोढ़ का जड़ से अंत हो जाय । धन्यबाद ,
डॉ हिमांशु शर्मा (आगोश)
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